रिलायंस इंडस्ट्रीज को पहले की तुलना में सब्सिडी पर लगभग 3,750 करोड़ खर्च करने की जरूरत पड़ सकती है. जिसका कारण सेमीकंडक्टरों की ग्लोबल शॉर्टेज है.